Friday, November 20, 2020

गेहूँ की बालियाँ


एक मुर्ग़ा और तीन चूहे साथ साथ रहते थे। एक दिन 

मुर्गे ने सबेरे जागकर सबको उठा दिया और अपना काम करने लगा। जब वह खेती कर रहा था, तो उसे एक गेहूँ की बाली मिली। उसने सोचा कि इसको पीसकर रोटी बना लूँगा। उसने अपने दोस्तों को बुलाया। हे चीका! हे चीकू! हे चूचू! जल्दी आओ। देखो मुझे क्या मिला है। तीनों चूहे दौड़कर आए। मुर्ग़े के हाथ में गेहूँ की बाली देखकर वे तीनों बोले - अरे! यह तो गेहूँ की बाली है। यह तुम्हें कहाँ से मिली? मुर्ग़े ने कहा - यहीं खेत में पड़ी नज़र आई। इससे हम रोटियाँ बना लेंगे। तो चूहों ने कहा - उसके लिए तो बाली से गेहूँ को अलग करना होगा न। तो मुर्ग़े ने कहा तो चलो अलग करते हैं। तुरंत चूहे बहाना बनाकर भाग निकले। मुर्ग़े ने अकेले ही सब काम किया और गेहूँ के आटे से रोटियाँ भी बनाई। गरमा गरम रोटी रोटी खाने के लिए तीनों चूहे बेताब होकर दौड़ते हुए आए। तब मुर्ग़े ने उन्हें रोका और पूछा - गेहूँ की बाली किसे मिली? 

चूहों ने कहा - आपको। 

आटा किसने पीसा? 

आपने। 

रोटी किसने बनाई? 

आपने। 

तो रोटी कौन खाएगा?

चूहे उदास हो गाए। 

तब मुर्ग़े ने कहा - आलस बुरी बला है। मेहनत करो। 

सब दोस्तों ने मिलजुकर रोटी खाई। 


- वुल्ली श्री साहिती 

कक्षा 5 'सी'

केंद्रीय विद्यालय नं. 1 गोलकोंडा, हैदराबाद 

Wednesday, November 4, 2020

कोरोना मैया






 कल रात मैंने एक सपना देखा

सपने में कोरोना मैया को देखा 


वे मुस्कुराकर कहने लगी

मैं भी जरा देख लूँ

तुम हाथ कैसे मिलाओगी? 

तुम गले कैसे लगाओगी? 

तुम सबके साथ कैसे मिलकर त्योहार मनाओगी? 


तो मैंने कहा 

हे कोरोना मैया 

देख लो तुम भी 


मैं gloves पहनकर हाथ मिलाऊँगी

में social distance maintain करके दोस्तों के साथ खेलूँगी

और त्योहार भी मनाऊँगी


मैं mask पहनकर घूमने भी जाऊँगी जहाँ भीड़ न हो 

मैं अध्यापकों और दोस्तों के साथ मिलकर ऑनलाइन पढूँगी


हम नहीं डरेंगे 

आपका सामना करेंगे


मेरी बात सुनकर 

कोरोना मैया भाग गई। 


- साहिती, कक्षा 5 'स'

केंद्रीय विद्यालया नं 1 गोलकोंडा