मस्त गगन में
आज मैं कैद हूँ
घर के पिंजड़े में
हमें आजाद करो
इस घर के पिंजड़े से
अब इस कोरोना ने
जीना मुश्किल कर दिया
हम कैसे जिएँगे बंद पिंजड़े में
मैं पंछी बानू उड़ती फिरूँ
मस्त गगन में
यह ठीक है कि मास्क लगाके उड़ना पड़ेगा
पर अब और कैद मंजूर नहीं है
इसीलिए पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ
मस्त गगन में !
… मस्त मगन में !
- साहिती
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