Sunday, June 13, 2021

मैं पंछी बनूँ



पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ 
मस्त गगन में 

आज मैं कैद हूँ 
घर के पिंजड़े में 

हमें आजाद करो 
इस घर के पिंजड़े से 
अब इस कोरोना ने 
जीना  मुश्किल कर दिया 

हम कैसे जिएँगे बंद पिंजड़े में 
गगन में उड़ना है आजाद होकर 
मैं पंछी बानू उड़ती फिरूँ 
मस्त गगन में 

यह ठीक है कि मास्क लगाके उड़ना पड़ेगा 
पर अब और कैद मंजूर नहीं है 
इसीलिए पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ 
मस्त गगन में !
… मस्त मगन में !

- साहिती 
 

No comments:

Post a Comment